संघाई सहयोग संगठन की बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब कर जमकर धोया
संघाई बैठक में भाग ले रहे थे रक्षा मंत्री
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर बेनकाब करने का काम किया। पाक पर कटाक्ष करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि आतंकवाद के अपराधियों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराना ही होगा और इससे निपटने में “दोहरे” मापदंड नहीं होने चाहिए।
बैठक के दौरान पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद, पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मजबूती के साथ भारत का पक्ष रखा। इसके साथ ही उन्होंने मीटिंग के बाद SCO के जॉइंट डॉक्यूमेंट पर साइन करने से मना कर दिया, क्योंकि इसके बहाने चीन और पाकिस्तान, भारत को घेरने की फिराक में थे। चीन और पाकिस्तान बलूचिस्तान का जिक्र ज्वाइंट स्टेटमेंट में करने के फिराक में थे लेकिन भारत में हुए पहलगाम हमले का जिक्र नहीं किया। इसके बाद भारत ने मजबूती से अपनी बात रखते हुए पाकिस्तान और चीन दोनों को जमकर धोया।
शंघाई सहयोग संगठन क्या है?
शंघाई सहयोग संगठन ( SCO ) दस सदस्य देशों का एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा और व्यापार संगठन है। इसकी स्थापना 2001 में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की ओर से की गई थी। साल भारत और पाकिस्तान भी एससीओ की सदस्य हो गए थे। ईरान जुलाई 2023 में और बेलारूस जुलाई 2024 में इस संगठन में शामिल हुआ।
एससीओ का असली मकसद क्या है?
एससीओ का कहना है कि इसका एक अहम मकसद ‘तीन बुराइयों’ से निपटना है। एससीओ के मुताबिक, ये तीन बुराइयां यानी आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद है। लेकिन इसका शुरुआती मकसद कुछ और था।
अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए सहयोग करने पर राजी हुए थे। तब इसे शंघाई-फाइव के नाम से जाना जाता था। इसी संगठन का विस्तार आगे जाकर एससीओ के तौर पर हुआ।
शंघाई-फाइव ने अपने मकसदों को महज तीन साल में ही हासिल कर लिया था। इसके बाद संगठन शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन बनाया गया और नए लक्ष्यों को तय किया गया। इसके बाद इस संगठन ने आतंकवाद से लड़ने को अपना नया लक्ष्य बनाया और इस में काफी हद तक नाकाम रहा है।
भारत कैसे बना था सदस्य?
भारत 2005 से एससीओ का ऑबर्जर था, लेकिन साल 2017 में भारत और पाकिस्तान को एससीओ का सदस्य देश बना दिया गया।
विश्व मामलों की भारतीय परिषद के अनुसार, 2010 के बाद से एससीओ के साथ भारत की भागीदारी में धीरे-धीरे बढ़ती चली गई। इसके अलावा, आर्थिक, ऊर्जा, संपर्क और सुरक्षा हित भारत को एससीओ की ओर ले जा रहे हैं। इसमें भारत के मध्य एशियाई क्षेत्र में क्षमता निर्माण, यूरेशियन क्षेत्र के साथ संपर्क, आतंकवाद और मादक पदार्थों के खिलाफ अंदरूनी लड़ाई, और ऊर्जा सहयोग भी अहम लक्ष्य थे।
गौरतलब है कि तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने 28 जुलाई 2010 को लोकसभा में कहा कि “एससीओ का महत्व तेजी से बढ़ा है और यह मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ-साथ अफगानिस्तान में स्थिरता, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और आतंकवाद का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभा रहा है। ”
इसके बाद भारत का रुख इस संगठन के प्रति पहले से अधिक सकारात्मक होता चला गया