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हेमंत सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरोपी का धर्म और वोट बैंक देखकर क़ानून तय किया जाए : बाबूलाल मरांडी

आठ दिन बाद अपहृत आदिवासी नाबालिग लड़की घर पर मिली

 

 

गिरिडीह (झारखंड)। गिरीडीह ज़िले में एक और आदिवासी बेटी का अपहरण हुआ। 8 दिन तक लापता रहने के बाद लड़की मिली तो उसके परिवार ने थाने में दरख्वास्त लगायी। लेकिन अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई। उपरोक्त बातें कहते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कही। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई सख़्त क़ानूनी कार्रवाई नहीं की गई। क्योंकि हेमंत सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि आरोपी का धर्म और वोट बैंक देखकर क़ानून तय किया जाये। उनकी बात एक पीड़ित समाज की गूंज है। यह दर्द झारखंड के जमीर को झकझोरने वाला है। यह केवल एक आदिवासी बेटी का मामला नहीं है।  यह पूरे आदिवासी समाज की अस्मिता, सुरक्षा और विश्वास का भी प्रश्न है। श्री मरांडी ने कहा कि इस सरकार के समय में लगातार देखा है कि कैसे झारखंड में आदिवासी बेटियों को निशाना बनाया जा रहा है। कभी जबरन ग़ायब किया जाता है, कभी धर्मांतरण की साज़िश में फँसाया जाता है, कभी बलात्कार और हत्या तक की घटनाएं होती हैं,और हर बार, सरकार की प्रतिक्रिया एक जैसी होती है। न कोई संवेदना, न कोई तात्कालिक कार्रवाई, न कोई राजनीतिक जवाबदेही। उन्होंने कहा कि इस चुप्पी को अब हम “निष्क्रियता” नहीं कहेंगे, जो सरकार बार-बार अपराध होते देख रही है, लेकिन फिर भी मूकदर्शक बनी हुई है। वह सिर्फ़ नाकाम नहीं, वह अपराध की सहभागी है। कहा कि आज आदिवासी समाज में गुस्सा है। हमारी बेटियाँ डर के साए में जी रही हैं।गाँवों में असुरक्षा की भावना घर कर चुकी है,और जो सरकार उन्हें सुरक्षा नहीं दे सकती। जो सरकार उन्हें न्याय नहीं दे सकती,जो सरकार सिर्फ़ राजनीतिक लाभ-हानि देखकर प्रतिक्रिया तय करती है, उसे आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है, आरोपी की गिरफ़्तारी अविलंब होनी चाहिए।

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